महापुरूषों का मार्ग ही कल्याण का मार्ग है-आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार, 12 सितम्बर। कनखल राजघाट स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण में आचार्य जगद्गुरू भगवान श्री श्रीचन्द्राचार्य का 530वां जयंती महोत्सव अखाड़े के श्रीमहंतों के संयोजन व सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में धूमधाम व उत्साह से मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परंपरा सनातन धर्म संस्कृति की संवाहक है। अखाड़ों के नेतृत्व में संत समाज ने प्रत्येक परिस्थिति में आगे बढ़कर धर्म रक्षा के अपने दायित्व को निभाया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने समाज को अध्यात्म और भक्ति का मार्ग दिखाया। भगवान श्रीचंद्र स्थापित आदर्शो को आत्मसात कर संत समाज विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से मानव कल्याण में अहम योगदान कर रहा है। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने सभी को श्रीचंद्र जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महापुरूषों का मार्ग ही कल्याण का मार्ग है। सभी को भगवान श्रीचंद्र के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत राघवेंद्र दास व कारोबारी महंत गोविंददास ने सभी संत महापुरूषों व अतिथीयों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान श्रीचंद्र संत समाज के आदर्श हैं। उनके उपदेश और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सभी अखाड़े धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में अपना योगदान दे रहे हैं। श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि सदैव परमार्थ के लिए प्रत्यनशील रहने वाले संत महापुरूष का जीवन समाज को प्रेरणा देता है। भगवान श्रीचंद्र ने समाज को धर्म और अध्यात्म का ज्ञान देकर कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। अयोध्या राममंदिर न्यास के महामंत्री चंपतराय ने कहा कि संत महापुरूष समस्त समाज के लिए वंदनीय और पूज्यनीय हैं। सभी को संत महापुरूषों के दिखाए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। महंत जयेंद्र मुनि व महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि जगतगुरू भगवान श्रीचंद्र सब के आराध्य हैं। उनके बताए मार्ग पर चलना ही हमारे जीवन का उद्देश्य है। इस अवसर महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी संतोषानंद, महंत राघवेंद्र दास, महंत गोविंदास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत प्रेमदास, महंत मुरलीदास, महंत कैवल्यानंद मुनि, मुखिया महंत भगतराम, श्रीमहंत धुनीदास, महंत जगतार मुनि, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, महंत जसविन्दर सिंह, स्वामी राममुनि, महंत मुरलीदास, महंत अरूण दास, महंत मंगलदास, श्रीमहंत रामरतन गिरी, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, स्वामी शिवम महंत, महंत विनोद महाराज, महंत सूर्यांश मुनि, स्वामी विजय महाराज सहित अनेक गणमान्य लोग व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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