हरिद्वार, 23 सितम्बर : पतंजलि ने 10वें आयुर्वेद दिवस समारोह आयोजन के अवसर पर भारतीय सनातन ज्ञान आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्पूर्ण कदम उठाया है। पतंजलि अनुसन्धान संस्थान, पतंजलि विश्विद्यालय तथा ब्राज़ील की प्रतिष्ठित संस्था श्री वजेरा फाउंडेशन के मध्य एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता ज्ञापन दो देशों के मध्य, मात्र एक औपचारिक दस्तावेज़ नहीं है, अपितु आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के संगम का ऐसा सशक्त मंच है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
इस अनुबंध के तहत भारत और ब्राज़ील के शोधकर्ताओं को औषधीय पौधों की विविधता (Phytodiversity), जैव-क्रियाशीलता (Biological Activity), रासायनिक संरचना (Phytochemical Analysis) और औषधीय प्रभावों पर संयुक्त अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। भारत और ब्राज़ील दोनों ही देशों की जड़ी-बूटियों का परीक्षण इस अनुबंध के अंतर्गत दोनों देशों में किया जाएगा जिससे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के कारण उनके गुणों का वैज्ञानिक मूल्यांकन हो सके।
साथ ही साथ तीनों ही संस्थाएं आपसी सहयोग से शिक्षा, अनुसंधान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेंगी।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन भारत और ब्राज़ील के बीच ज्ञान, शोध और शिक्षा के नए द्वार खोलेगा। औषधीय पौधों पर संयुक्त शोध, उनके प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल ट्रायल से विश्वभर में आयुर्वेद की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता सिद्ध होगी। पतंजलि का उद्देश्य सनातन ज्ञान आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर विश्व को प्राकृतिक, साक्ष्य-आधारित और सुलभ स्वास्थ्य समाधान उपलब्ध कराना है।
उन्होंने आगे कहा कि ब्राज़ील के साथ यह समझौता आयुर्वेद के वैश्वीकरण को नई दिशा प्रदान करेगा। यह सहयोग केवल शोध तक सीमित नहीं है, अपितु यह मानवता के लिए समग्र स्वास्थ्य और प्रकृति के संतुलन को स्थापित करने का प्रयास है।
श्री वजेरा फाउंडेशन, ब्राज़ील के डॉ. ज़ोसे रूगे रिबेरो ने इस अवसर पर कहा कि यह समझौता ज्ञापन भारत-ब्राज़ील मैत्री सम्बन्धों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। यह अनुबंध ज्ञापन ब्राज़ील में नवीन अनुसन्धान संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त कर, शोध विषयों में व्यापकता का संचार करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय विज्ञान, आयुर्वेद के सिद्धांत हमारे समाज में समग्र स्वास्थ्य और संतुलन को बढ़ावा देने की क्षमता रखते हैं। अब समय है कि सम्पूर्ण विश्व साथ मिलकर इस अतुल्य स्वास्थ्य समाधान को अंगीकृत करें।
पतंजलि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने इस अवसर पर कहा कि यह अनुबंध वैश्विक स्वास्थ्य शोध कार्यों को नई दिशा प्रदान करेगा। आयुर्वेदिक औषधियों की सुरक्षा और प्रभावशीलता को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक मानकों पर प्रमाणित कर, भारत की प्राचीन धरोहर आयुर्वेद को वैश्विक समुदाय के समक्ष अटल साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किया जायेगा।
दोनों देशों का यह संयुक्त प्रयास न केवल वैज्ञानिक शोध कार्यों को समृद्धता प्रदान करेगा साथ ही वैश्विक मंचो पर आयुर्वेद को और भी सक्षम मान्यता दिलाने में सहायक सिद्ध होगा।